Chaitra Navratri 2023: कब से शुरू हो रही है चैत्र नवरात्रि? जानिए घटस्थापना मुहूर्त और तिथियां

चैत्र नवरात्रि घटस्थापना 2023 की मुहूर्त:

चैत्र नवरात्रि 2023 तिथि

चैत्र नवरात्रि 2023 घटस्थापना तिथि: 22 मार्च, 2023

घटस्थापना मुहूर्त: सुबह 6:23 बजे से सुबह 7:32 बजे तक

घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि के दौरान पड़ता है |

घटस्थापना मुहूर्त द्वि-स्वभाव मीन लग्न में पड़ता है |

प्रतिपदा तिथि शुरू होती है: 21 मार्च, 2023 को रात 10:52 बजे

प्रतिपदा तिथि समाप्त होती है: 22 मार्च, 2023 को शाम 8:20 बजे

मीन लग्न शुरू होता है: 22 मार्च, 2023 को सुबह 6:23 बजे

मीन लग्न समाप्त होता है: 22 मार्च, 2023 को सुबह7:32 बजे

माँ दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा के रूप में मनाई जाने वाली चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार सनातन धर्म में मां दुर्गा के पूजन और उनकी महत्ता के लिए मनाया जाता है। यह नौ दिनों का त्योहार होता है जिसे लोग पूरे उत्साह और भक्ति से मनाते हैं। इस ब्लॉग में हम चैत्र नवरात्रि 2023 तिथि  के बारे में जानकारी देंगे जैसे कि मां दुर्गा के नौ अवतार, पूजन के तरीके और अन्य रीति और रिवाज।

मां दुर्गा के नौ अवतार हैं:

  • शैलपुत्री - यह अवतार प्रकृति की देवी के रूप में माना जाता है।
  • ब्रह्मचारिणी - यह अवतार विद्या की देवी है।
  • चंद्रघंटा - यह अवतार शक्ति और त्याग का प्रतीक है।
  • कूष्मांडा - यह अवतार सभी प्राणियों के लिए आहार प्रदान करने वाली मां को दर्शाता है।
  • स्कंदमाता - यह अवतार मां दुर्गा की पुत्री है।
  • कात्यायनी - यह अवतार स्त्रियों की शक्ति को दर्शात
  • कालरात्रि - यह अवतार शक्ति की क्रोध रूप है।
  • महागौरी - यह अवतार नर्म और सौम्य होती है।
  • सिद्धिदात्री - यह अवतार सिद्धियों की देवी है।

चैत्र नवरात्रि के त्योहार का आयोजन नौ दिनों तक किया जाता है। प्रतिदिन नवरात्रि के नौ अवतारों में से एक अवतार की पूजा की जाती है। इस त्योहार में भक्तों को माँ दुर्गा की पूजा के लिए अनेक तरह के पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है।

चैत्र नवरात्रि की पूजा के तरीके निम्नलिखित हैं:

  • घर को साफ-सुथरा करें और मंदिर का स्थान तय करें।
  • मूर्तियों के साथ पूजा सामग्री जैसे चावल, फूल, दीपक, सुगंध, गंध, आदि इकट्ठा करें।
  • पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें।
  • मां दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा के बाद प्रसाद बांटें।
  • नौवें दिन यानी नवमी के दिन कन्या पूजा की जाती है जिसमें नौ कन्याओं को भोजन और वस्त्र दान किया जाता है।

इसके अलावा, लोग चैत्र नवरात्रि के दौरान नवरात्रि के उपलक्ष्य में धार्मिक गाने गाते हैं। भक्तों के लिए अन्य धार्मिक गतिविधियों जैसे भजन संध्या, धार्मिक कथाएं, आदि भी आयोजित की जाती हैं।

चैत्र नवरात्रि का त्योहार भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है। इस त्योहार के दौरान माँ दुर्गा की पूजा से न केवल भक्ति वर्धक महसूस होता है बल्कि धार्मिक तत्वों को समझने में भी मदद मिलती है। यह त्योहार सभी धर्मों के लोगों के बीच सद्भाव और एकता की भावना को स्थायीत्व देता है। चैत्र नवरात्रि का त्योहार अधिकतर भारत में मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताकर माँ दुर्गा की पूजा का आनंद ले सकते हैं। यह त्योहार धर्म, संस्कृति और एकता के भाव को स्थायीत्व देता है।

अब हम चैत्र नवरात्रि के दौरान पूजा की विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।

  • माँ शैलपुत्री - नवरात्रि का प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन माँ शैलपुत्री के सामने पूजा स्थल स्थापित करें और उन्हें दूध, दुग्ध और फूल अर्पित करें। इसके बाद आरती करें और चावल, फल, मिठाई आदि की भोग चढ़ाएं।
  • माँ ब्रह्मचारिणी - दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। उन्हें धूप, दीप, फल, मिठाई और पुष्प अर्पित करें।
  • माँ चंद्रघंटा - तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। उन्हें फूल, दीप, धूप, नारियल, मिठाई और फल अर्पित करें।
  • माँ कुष्मांडा - चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा की जाती है। उन्हें फूल, धूप, दीप, मिठाई और फल अर्पित करें।
  • माँ स्कंदमाता - पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है। उन्हें फूल, दीप, धूप, मिठाई, फल और चावल की पूड़ी अर्पित कर
  • माँ कात्यायनी - छठवें दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। उन्हें फूल, दीप, धूप, मिठाई और फल अर्पित करें।
  • माँ कालरात्रि - सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। उन्हें फूल, दीप, धूप, मिठाई, फल और चावल की खीर अर्पित करें।
  • माँ महागौरी - आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है। उन्हें फूल, दीप, धूप, मिठाई, फल और सात प्रकार की अन्न अर्पित करें।
  • माँ सिद्धिदात्री - नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। उन्हें फूल, दीप, धूप, मिठाई और फल अर्पित करें।

इसके अलावा नवरात्रि के दौरान मंदिर व घर को सजाएं। भक्तों को नवरात्रि के दौरान व्रत रखना चाहिए। नवरात्रि के दौरान सभी मंदिरों में विशेष पूजाएं आयोजित की जाती हैं।

अब हम नवरात्रि के दौरान जो रस्में करते हैं, उन्हें जानते हैं।

  • घट स्थापना - नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है
  • इसमें कई चीजें शामिल होती हैं जैसे कि मूल स्थान, कलश, माँ दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर, दीपक आदि।
  • अक्षत अर्पण - इस रस्म के दौरान अक्षत चावल को आसन देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • अखंड दीप जलाना - नवरात्रि के दौरान दिन रात्रि भगवान की आराधना के लिए अखंड दीप जलाया जाता है।
  • बालिका पूजन - नवरात्रि के आठवें दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है जो माँ दुर्गा के समान महत्वपूर्ण होती हैं।
  • कन्या पूजन - नवरात्रि के नौवें दिन कन्या पूजन की जाती है जिसमें कन्याओं को भोजन खिलाया जाता है और उन्हें वरदान दिया जाता है।

इसके अलावा नवरात्रि के दौरान निम्नलिखित कुछ चीजें भी ध्यान में रखनी चाहिए।

  • दुर्गा सप्तशती पाठ - दुर्गा सप्तशती के पाठ करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और उन्हें प्रसन्न करने में सहायता मिलती है।
  • भंडारे का व्यवस्था करना - नवरात्रि के दौरान भोजन का भंडारा भी किया जाता है। इसमें लोगों को भोजन की विविधता प्रदान की जाती है और साथ ही दूसरों को भी खिलाया जाता है।
  • पंचोपचार पूजा - इस पूजा में पंचोपचार यानी स्नान, वस्त्र, अलंकार, गंध और नैवेद्य के द्वारा माँ दुर्गा की पूजा की जाती है।
  • फूलों का अर्पण - नवरात्रि के दौरान फूलों का अर्पण करके माँ दुर्गा की पूजा की जाती है।
  • दुर्गा सप्तशती पाठ - दुर्गा सप्तशती के पाठ करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और उन्हें प्रसन्न करने में सहायता मिलती है।
  • पंचोपचार पूजा - इस पूजा में पंचोपचार यानी स्नान, वस्त्र, अलंकार, गंध और नैवेद्य के द्वारा माँ दुर्गा की पूजा की जाती है।
  • फूलों का अर्पण - नवरात्रि के दौरान फूलों का अर्पण करके माँ दुर्गा की पूजा की जाती है।

इस चैत्र नवरात्रि के त्योहार पर, आप सभी को शुभकामनाएं!